Tuesday 16 April, 2013

ब्रज की संस्कृति बचा रही ग्रामीणों की टोली


सौम्या टंडन

मथुरा (उत्तर प्रदेश)। भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में 11 साल और 52 दिन बाल लीला की। ब्रज में श्रीकृष्ण द्वारा की गई इस लीला को मथुरा के आसपास के गाँवों के करीब 200 कलाकार बचाने में जुटे हैं। ये लोग देश-विदेश में अपनी प्रस्तुतियां देकर इसे जीवित रखना चाहते हैं।

मथुरा से 30 किलोमीटर दूर गाँव गोवर्धन के निवासी मुरारी लाल तिवारी(40) इस टोली के माध्यम से इस सांस्कृतिक विरासत को बचाने में जुटे हैं। पांचवीं पीढ़ी के कलाकार के रूप में उन्हें यह कला अपने पूर्वजों से मिली। मुरारी लाल तिवारी अपनी टोली के साथ स्टेज पर भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन करते हैं। ''मारा मकसद ब्रज की इस सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार-प्रसार करना है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे परिचित हों।''

  अपनी टीम को बनाने के लिए मुरारी लाल तिवारी ने गाँव-गाँव घूम कर लोगों को ढूंढ़ा और ट्रेनिंग देने के बाद 'श्री गिरिराज कृष्ण सांस्कृतिक कला समिति' के नाम से अपनी कंपनी बनाई। मुरारी लाल ने 1983 में शास्त्री की डिग्री भी ली। इसके बाद अपने घर के बुजुर्गों के कहने पर इस कला में आ गए। मुरारी लाल अपने             घराने की पांचों पीढिय़ों का नाम गिनाते हुए कहते हैं, ''सबसे पहले गुरु घासीराम जी, दूसरे ताराचंद जी, तीसरे बुद्धिराम जी, चौथे छैल बिहारी और पांचवें मुरारी लाल। हम इस परंपरा को आगे भी जीवित रखना चाहते हैं। जिसके लिए मेरा बेटा गोविन्द तिवारी भी इस कला से जुड़ गया है।''

गोपियों संग नृत्य करते भगवान श्रीकृष्ण


भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला और रासलीला पेश करने वाली यह टोली मयूर नृत्य, बरसाने की ल_ïमार होली, फूलों की होली, चरुकुला नृत्य और दीपक नृत्य पेश करते हैं। ''मुझे नृत्य, बृज लोक संगीत का गायन और वादन में ढोलक हारमोनियम और तबला बजाना भी जानते हैं।'' मुरारी लाल बताते हैं। जो गोवर्धन के मुख्य मंदिर के पुजारी भी हैं।

टीम में हर किसी का एक किरदार होता है। टीम की महिला सदस्य राधा और सखियां बनती हैं। ''जो कलाकार जिसका वेष धरता है हम उसे उसी रूप में देखते हैं। जब श्रीकृष्ण का किरदार निभाने वाला कलाकार एक बार मुकुट धारण कर लेता है तो उसे उसी रूप में देखा जाता है।'' मुरारी लाल बताते हैं।

श्री गिरिराज कृष्ण सांस्कृ तिक कला समिति के सदस्य देशों में ही नहीं विदेशों में अपनी प्रस्तुतियां देते हैं। इस मंडली के कलाकार जर्मनी, रूस, लंदन और अमेरिका तक अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। साल 2005 में सभी 200 कलाकारों ने गणतंत्र दिवस परेड में एक साथ प्रस्तुति दी। इसमें कृष्ण की लीला करने पर गोविन्द तिवारी को राष्टï्रपति से पुरस्कार भी मिला। इतना ही नहीं, दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी इन ब्रज की कला का प्रदर्शन किया गया।

इस घराने के छठे कलाकार और मुरारीलाल के बेटे गोविंद तिवारी(16) ने अपने पिता की विरासत संभाल ली है। आठ साल की उम्र से ब्रज की इस कला का स्टेज पर मंचन कर रहे गोविन्द ने इस साल हाईस्कूल का पेपर दिया है। गोविंद कहते हैं, ''भगवान कृष्ण का मुकुट पहनने के बाद मैं पूरी तरह से अपने किरदार में खो जाता हूं। इस रूप में मेरे पिता जी और बाबा भी मेरी पूजा करते हैं।'' वह आगे कहते हैं, ''यह मेरे परिवार की परंपरा है, जिसे मैं निभा रहा हूं।'' ''यह काम मैं पैसे के लिए नहीं करता हूं, मैं चाहता हूं कि हमारी ब्रज की संस्कृति का नाम हो।'' गोविंद कहते हैं।

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