Monday 11 February, 2013

एक दिन में फूंक देते हैं करोड़ों रुपए




 शिकागो। हर साल जनवरी महीने के आखरी रविवार या फरवरी के पहले रविवार पर खेले जाने वाले 'सुपर बोल' को यहां के लोग करीब एक मज़हब की तरह मानते हैं। इस खेल की खूबी यह है कि कहने को तो फुटबॉल है लेकिन पैरों का उस में लगभग कोई इस्तेमाल नहीं होता सिवाए दौडऩे के। अक्सर बॉल को हाथ में दबोचे खिलाड़ी भागते हैं जब तक की अपने प्रतिद्वंदी के हिस्से के मैदान के अंत तक नहीं पहुँच जाते।

जितनी खेल की अहमियत होती है उतनी ही उससे जुड़ी कई और चीज़ों की भी होती है। उदाहरण के तौर पर जऱा इन आंकड़ों पर गौर कीजिये फरवरी 3 को 'न्यू ओरलेंस' शहर में खेले गए सुपर बोल को पूरे देश में लगभग ग्यारह करोड़ लोगों ने टेलीविजऩ पर देखा, यानि कि अमेरिका की कुल आबादी के 33 प्रतिशत लोगों ने। फुटबॉल का सब से बड़ा पर्व हो और चिकन एवं बियर हो ऐसा असंभव है। ऐसा अनुमान है की 120 करोड़ से भी ज्यादा चिकन विंग्स (यानि मुर्गी के कटे पंख में जो मांस होता है) को खेल के चाहने वालों ने सफाचट किया। अब चर्बी से लबालब मुर्गी हो तो उसको गले से पेट तक उतारने के लिए कुछ तो पीना ज़रूरी है तो फिर क्यों लोग बियर ही पी लें। आंकड़े बताते हैं कि फरवरी 3 के रविवार के दिन पांच करोड़ बियर के बक्से बिक गये।

फुटबॉल का मैच हो और पिज़्ज़ा हो यह भी सही नहीं है। तो यह भी जान लीजिये की उस दिन करीबन डेढ़ करोड़ पिज़्ज़ा खाए गए। अब जब कोई इतना खायेगा और पिएगा तो ज़ाहिर बात है के पेट तो खली करना पड़ेगा। इसकी बदौलत 200 करोड़ गैलन पानी का शौचालय में इस्तेमाल हुआ। आंकड़ों के मायाजाल का आखरी पन्ना यह है कि दूसरे दिन यानि सोमवार को लगभग सत्तर लाख लोंगों ने अपने काम से बीमारी के बहाने छुट्टी कर ली। तो यह हुआ अमेरिका के सालाना फुटबॉल पर्व का एक पहलू।

स्टेडियम जा कर मैच देखना का जो चस्का है वो भी काफी महंगा पड़ता है। साधारण तौर पर एक सुपर बोल टिकेट के दाम $850 और 1250 डॉलर यानि लगभग 40,000 से 65,000 रुपये तक होते हैं। लेकिन इस बॉल में टिकटों की इतनी होड़ लगी रहती है की अक्सर टिकटों का बिक्री दाम $3000 डॉलर तक यानि डेढ़ लाख रुपयों से ज़्यादा हो जाता है। सबसे महंगा टिकट 13,120 डॉलर मतलब कि 7,21,600 रुपये में बिका ऐसा माना जाता है।

एक और बात जो सुपर बोल की बड़ी मशहूर है वो है इस दौरान टेलीविजऩ पे दिखाए जाने वाले इश्तहारों के बारे में। कंपनियों की क़तार लग जाती है इश्तेहार देने के लिए। तीस सेकंड का इश्तेहार करीब 40 लाख डॉलर यानि बीस करोड़ रुपये से अधिक का बिका और ऐसे कम से कम 35 इश्तेहार थे।

खेल की बात करें तो पहली बार देखने वाले को शायद इसके नियम समझने में काफी कठिन लगें। मोटा मोटा कहें तो बात सिर्फ  इतनी है कि दो टीमों में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी होते हैं। उन की यूनिफार्म कुछ इस तरह से होती है किमानो किसी दूसरे ग्रह से उतर आये योद्धा हों। हर खिलाड़ी एक तरह का बख्तर पहनता है जिससे की सिर्फ उपरी शरीर की सुरक्षा हो बल्कि ऐसा भी महसूस हो जैसे कोई भयंकर योद्धा उतर आया हो। सर पैर हेलमेट और मुंह पर एक खास तरह का गार्ड भी होता है। नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) जिस के देखरेख में सुपर बोल होता है, इस बात से अक्सर चिंतित रहता है कि खिलाडिय़ों को गंभीर चोट आये। अब जो खिलाड़ी सामान्य तौर पर छेह फुट से ज्यादा लम्बा और 115 और 135 किलो वजऩ का हो और ऐसे बाईस खिलाड़ी एक-दूजे के खिलाफ  दौड़ते हों, एक-दूजे को धक्के मारते हों, पछाड़ते हों तो गंभीर चोट लगना आम बात है। खासकर सर पर चोट की वजह से कई खिलाड़ी अपना संतुलन खो बैठते हैं। यह अमेरिका में एक बड़ी समस्या मानी जाती है क्योंकि फुटबॉल हर जगह खेला जाता है वैसे ही जैसे भारत में क्रिकेट खेला जाता है।

इस खेल में इतना पैसा लगा है कि इसका असर कई शहरों की आर्थिक स्थिति पर सीधा होता है। स्कूल के बच्चे छोटी उम्र में ही इसको खेलना शुरू कर देते हैं। ख़ासकर इसलिए की उसमें बड़े पैमाने पर धन कमाने के बहुत अवसर होते हैं। जो बड़े-बड़े खिलाड़ी हंै उनको अपनी टीम की ओर से करोड़ों डॉलर्स सालाना मिलता है।

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