Monday 11 February, 2013

फरवरी की बारिश किसानों के लिए लाएगी मुनाफा


मनीष मिश्र/अनु सिंह

लखनऊ/नई दिल्ली। फरवरी में हुई झमाझम बारिश ने उत्तर भारत में पारा बेशक और नीचे गिरा दिया है लेकिन बेहतर सल की किसानों की उम्मीद को जरूर बढ़ा दिया है। पूरे 70 साल बाद माघ महीने में हुई इतनी बारिश से रबी की सलों और ख़ासतौर पर गेहूं के लिए बहुत फायदेमंद माना जा रहा है.

 सीवान (बिहार) के नगई गाँव के किसान सुरेन्द्र सिंह (57) अपने खेतों में लगे गेहूं के दानों के फू टने से सिंचाई की तैयारी कर रहे थे। सुरेन्द्र बताते हैं, "इस साल घने कोहरे और कड़ाके की सर्दी और फि अचानक मकर संक्रांति के बाद धूप में आई गर्मी से सल के खराब होने  की आशंका थी, लेकिन इस हफ्ते हुई बारिश और इसके साथ वापस लौट आई ठंड से गेहूं की सल को नया जीवन मिला है।"

 वो आगे कहते हैं, "गेहूं की सल को अभी कुछ और दिनों तक ठंड की ज़रूरत है। अगर मौसम ऐसे ही थोड़ा ठंडा रहा तो गेहूं की पैदावर अच्छी होने की उम्मीद है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नई दिल्ली के प्रमुख कृषि वैज्ञानिक डॉ. महेश यादव फरवरी में हुई बारिश को अनाजी फसलों के लिए काफी फायदेमंद बताते हैं। वह कहते हैं, "गेहूं और जौ के लिए यह फरवरी की बारिश काफी फायदेमंद है, लेकिन दलहन और तिलहन फसलों में  फू नहीं आया है तो ही फायदा होगा। अगर फूल गया है तो फसल को नुकसान हो सकता है।अभी बारिश हाने से फायदा ये हुआ है कि गेहूं की एक सिंचाई कम करनी पड़ेगी।"

रवरी में इस तरह की झमाझम बारिश कई दशकों बाद हुई है। मौसम विभाग के अनुसार इससे पहले 1943 में 10 रवरी को ऐसी मूसलाधार बारिश हुई थी। पूर्वी यूपी और बिहार में जहां-जहां चार सेंटीमीटर से कम बारिश हुई है, वहां गेहूं के अलावा चना, अरहर और मटर की फ़ सलों को भी फ़ ायदा होगा। पंजाब और हरियाणा में भी बारिश ने गेहूं की फसल को अभी तक फ़ ायदा ही पहुंचाया है। हालांकि, फूल निकले सरसों की सल को नुकसान हुआ है।

मौसम विभाग, लखनऊ के निदेशक जेपी गुप्ता नहीं मानते कि फरवरी में हुई ये बारिश अचानक हुई है। वह कहते हैं, "एक हफ्ते से बन रहे पश्चिमी विक्षोभ के कारण ही यह बारिश हुई है। अगले एक हफ्ते तक मौसम साफ रहेगा। फसलों के लिए यह काफी फायदेमंद है।"

केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने भी उत्तर भारत में हुई बारिश के बाद रबी की बंपर सल होने का भरोसा जताते हुए कहा है, "साल 2012-13 के दौरान अनाज का उत्पादन 250 मिलियन टन होने की उम्मीद है। 2011-12 जुलाई से जून, में अनाज का  257.44 मिलियन टन उत्पादन हुआ था, जिसमें धान और गेहूं की बंपर पैदावार हुई।"

लखनऊ से 35 किमी उत्तर शाहपुर के रहने वाले किसान दिनेश सिंह कहते हैं, "इस बारिश से सरसों को काफी नुकसान हुआ है। आलू भी प्रभावित हुआ है। बाली आते समय गेहूं के गिरने से अनाज हल्का हो जाएगा। जिन्होंने गेहूं की बुवाई देर से की है उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। गन्ना, प्याज और सब्जियों के लिए तो बारिश वरदान है।"

ये बारिश सिर्फ  गेहूं के लिए ही नहीं बल्कि गन्ने के लिए भी अच्छी होगी। गन्ना लगाने की तैयारी कर रहे किसानों को ़ायदा होगा क्योंकि बारिश के बाद अब ज़मीन नम होगी और सिंचाई का अतिरिक्त खर्चा बच जाएगा। इस बारिश से आलू निकालने में हो सकता है देरी हो, लेकिन ़सल को नुकसान नहीं पहुंचेगा क्योंकि पानी रुका नहीं है।

 वहीं कृषि मामलों के जानकार मोहाली, पंजाब के रहने वाले देवेन्दर शर्मा मैदानी इलाकों में बारिश और पहाड़ों पर गिरी बर्फ को गेहूं और सेब के लिए बहुत फायदेमंद मानते हैं। वह कहते हैं, "बारिश सोने पे सुहागा है। इस समय सभी फसलों को ठंडा मौसम चाहिए और बारिश से मौसम ठंडा हो गया है। तापमान बढऩे पर कई तरह की फंगस पैदा हो जाती है। गेहूं में पीला कीट(यलो रस्ट)लगा जाता है। जो ठंडक के मौसम में नहीं लगेगा। ओला तो सभी फसलों के लिए नुकसानदायक होता है। जहां पर ओला गिरा है वहां किसान 100 लीटर पानी में एक किलो यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करें तो फसल को लाभ मिलेगा।" रामशरण वैद्य आदर्श इंटर कॉलेज, बदायूं के प्रवक्ता हरदीप सिंह कहते हैं। वह आगे बताते हैं,"बारिश तो सभी फसलों के लिए अच्छी है लेकिन अगर सरसों की फसल में फूल आए हैं तो बारिश से उसके पराग कण गिर जाते हैं। जिससे पैदावार कम होती है। आलू के जिन खेतों में पानी भर गया है तो उनमें किसान पानी को निकाल दें। उससे नुकसान नहीं होगा।" कृषि मंत्रालय के मुताबिक पूरे देश में इस साल तीन करोड़ हेक्टेयर ज़मीन पर गेहूं लगाया गया है जो पिछले साल के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा है। मौसम मेहरबान रहा तो खेत सही मायने में सोना उगलेंगे।

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