Tuesday 5 February, 2013

ज़िन्दगी रिचार्ज: दुआ मांगी कि मेरी बेटी को बस में सफर न करना पड़े



नई दिल्ली। दामिनी चली गई। देश में बहुत हल्ला हुआ, लोग सड़कों पर उतरे, उस तबके के लोग भी उतरे जिनके लिए आमतौर पर कहा जाता है कि वो सिर्फ  अपने.अपने घरों में बैठ कर बड़ी.बड़ी बातें करना जानते हैं, इसके अलावा कुछ नहीं कर सकते, उन लड़कियों ने भी मोमबत्तियां जलाईं जिनके लिए कहा जाता है कि उन्हें तो फैशन, फिल्मों औऱ मौज मस्ती से फुर्सत नहीं। उस मीडिया ने भी साथ दिया जिस पर हमेशा आरोप लगते हैं कि वो सिर्फ  टीआरपी के लिए मसालेदार खबरें परोसता है।

हम में से कोई भी दामिनी को नहीं जानता था। फिर इतना गुस्सा क्यों आया हमें उसकी मौत पर आंसू क्यों बहे हमारे? क्यों हम जंतर-मंतर पर इकठ्ठा हुए इसलिए क्योंकि एक दामिनी हम सबके अंदर छुपी हुई थी। सदियों से हम सबकों सड़क पर छेड़ा गया, भरी बस में नोंचा गया, दफ्तर में बुरी नजऱ से देखा गया। वो भयानक रात हम में से किसी भी दामिनी की जि़ंदगी में आ सकती थी, इस अहसास ने हम सबको डरा दिया।

मुझे याद आया कि 1996 में मैं भी दिल्ली की बसों में ही घूमती थी, छेड़ी जाती थीए छुई जाती थी। क्या कर पाती थी मैंघ् कुछ नहींए बस वो एक दिन आज तक मैं नहीं भूली हूं जब पटेलनगर से आईटीओ की एक बस में थी मैंए खचाखच भरीए कोई छूकर निकल जाता तो कोई बेहुदी बात कान के पास कह जाता। मैं एक छोटे शहर झांसी से आई थी। आंखों में आंसू भर आए कि क्यों मुझे ये सब कुछ सहना पड़ रहा है। जाने अनजाने एक प्रार्थना निकली मन सेए मैंने बस से उतर कर रूंधे गले से ऊपर आसमान की तरफ देख कर कहाए भगवान जब मेरी शादी होगीए और अगर मेरी बेटी हुई तो तब तक मुझे इतने पैसे दे देना कि मेरी बेटी को मेरी तरह बसों में सफ र न करना पड़े।

1996 में वो एक बहुत ही मासूमियत से कही हुई प्रार्थना थी। एक ऐसी आम लड़की की प्रार्थना जो बेहद अपमानित महसूस कर रही थीए वो लड़की तब नहीं जानती थी कि एक दिन वो एक न्यूज़ चैनल में एंकर बन कर एक शो करेगी और ऐसी लड़कियों को बुलाएगी जिन्होंने छोटी से छोटी छेडख़ानी के खिलाफ  भी आवाज़ उठाई और हिम्मत के साथ छेड़छाड़ करने वाले को जवाब दिया।

2011 में जिंदगी लाइव में ऐसी 6 लड़कियां आईं, नताशा ने सड़क पर उसको छू कर निकल गए एक लड़के को पकड़ कर बहुत पीटा था। दीपशिखा ने एक आदमी के खिलाफ  रिपोर्ट लिखवाने की जि़द ठान ली थी और इसके लिए वो पुलिसवालों से घंटों जूझती रहीए हिना उज़़मा ने तो उनके साथ बदतमीज़ी करने वाले अपने ही ममेरे भाई के खिलाफ  शिकायत दर्ज की थी। रश्मि ने एक गंदी हरकते कर रहे ऑटो वाले के खिलाफ  शिकायत दर्ज की थी। प्राची ने बस में ज़ोर.ज़ोर से अश्लील भाषा में फोन पर बात करने वाले एक लड़के का फ़ोन छीन कर बस से बाहर फेंक दिया था और उसे एक ज़ोरदार चांटा जड़ा था।

देखा जाए तो बहुत बड़ी या अनोखी घटनाएं नहीं हुईं, इनके साथ जो आपके या मेरे साथ न होती हों। बस फर्क एक था, इन लड़कियों ने चुपचाप बर्दाश्त करने से इंकार कर दिया।

2012, में मैं कार चला रही थीए मौसम अच्छा था तो खिड़की के शीशे नीचे थे, अचानक मेरे कानों में उल्टे सीधे शब्द सुनाई पड़े। मैंने देखा, एक जीप मेरी कार के साथ साथ चल रही है और उसमें बैठा आदमी मेरी तरफ  इशारेबाज़ी कर रहा है और बेहुदी भाषा का इस्तेमाल कर रहा हैए और उसका ड्राइवर हंस रहा है। पहले पहल तो मैंने वही किया जो हम सब हमेशा से करती आईं हैए अनदेखी। लेकिन अगले ही पल 1996 की वो लड़की और जिंदगी लाइव की सारी मेहमान मेरी आंखों के सामने आ गईं। 1996 में मैं कुछ नहीं कर पाई थी लेकिन आज मैं वाकई एक बेटी की मां हूं। क्या आज भी मैं चुप रहूंगीघ् क्या आज भी मैं अपनी बेटी को चुप रहने की ही सीख दूंगी नहीं, अब नहीं।

खुद से ये जवाब मिलते ही मैंने कार बीच सड़क पर रोकी ताकि वो जीप भाग न सके। मैं उतरी, मुझ पर दुर्गा सवार हुई या  झांसी की रानीए ये तो नहीं जानती इतना जानती हूं कि अगले 2.3 मिनट तक मैंने उस आदमी को लगातार थप्पड़ मारे, उसके बाल खींचे और चिल्लाती रही कि तुम हमें समझते क्या हो. जब मन आयाए, जहां मन आया, जो चाहे कर सकते हो, यकीन मानिए वो आदमी इतना डर गया कि जीप से उतरने की हिम्मत नहीं हुई उसकी, और मेरे ऊपर हंसने वाले उसके ड्राइवर की तो बोलती बंद हो गई। दोनों बस हाथ जोड़ कर मांफी मांग रहे थे।

उस दिन मेरे दिल पर से 15 साल पुरानाए उस बस में निकले लाचारगी के आंसुओं का बोझ शायद उतर गया। खुद पर इतना फक्र हुआ कि क्या बताऊं लगा कि ये हिम्मत पहले कहां थी.

उस दिन ये महसूस हुआ कि हमें ये प्रार्थना नहीं करनी है कि हमारी बेटियों को बस में सफ र न करना पड़े। बस क्या, बदतमीज़ लोग तो हमारे हर तरफ  हैं, बस, ट्रेन,  स्कूल, कॉलेजए दफ्तर, घर, आस.पड़ोस, सड़क, कुछ भी तो महफूज़ नहीं। इसलिए प्रार्थना करनी है कि हर बेटी के पास  शिक्षा होए आत्मविश्वास होए घरवालों का सहारा होए ये समझ हो कि वो कोई ' चीज़' नहीं है जिसे कोई भी, कहीं भी छूता हुआ निकल जाएए और हर बेटी को सिर उठा कर कहीं भीए कभी भी जाने का हक हो। ये हक़ अब हमें लेना होगा, हर औऱत को इस हक़ के लिए लडऩा होगा, आवाज़  उठानी होगी, पलटवार करना होगा। इससे पहले कि हम में से हर औरत का हाल वो हो जाए जो दामिनी का हुआ था, हमें दुर्गा बनना होगा, इस देश को अब करोड़ों दुर्गाओं की ज़रूरत है ताकि अब फिर कोई 'दामिनी' न हो।

(लेखिका आईबीएन.7 न्यूज़ चैनल की वरिष्ठ पत्रकार हैं)

6 comments:

  1. वाह ऋचा वाह, संयोग से मैं भी दो पुत्रियों की माँ हूँ और मेरी बड़ी पुत्री का नाम भी ऋचा है, शायद उम्र भी आसपास हो, (09.06.1980)॰ लेख पढ़ कर बहुत खुशी हुई और गर्व भी हुवा, शायद यह सभी बच्चियों के लिए प्रेरक साबित हो॰ मेरी ऋचा भी ढ्रद सोच रखती है और अनदेखी तो बिलकुल नहीं करती, उसे तुम्हारे बारे मे अवश्य बताऊँगी॰

    लेख बहुत सरल भाषा मे और रोचक है, शाबाश॰

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  2. Richa ji bahut bahut dhanywad ki apne apne bahut saf safayi aor kafi khubsurt andaz me aj ki sab se badi samasya ko rakkha ... Kanun apni jagah, saza apni jagah lekin haqiqt he ki sab se zyada zrurt ladkiyon me hosle wo aatmwishwas ki he taki kisi ki galat nigah galti se vi uski taraf na uth sake..

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  4. marvelous...cant express the feel...that should be the spirit which we generally lack

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  5. ऋचा जी ,
    आपका कथन सर्वथा उचित है की हर नारी को दुर्गा का रूप धारण कर लेना चाहिए | पर ना जाने कब ये समाज बदलेगा ? ना जाने कब वो समय आएगा जब कोई भी बहिन, बेटी, बहु, इस समाज की कुत्सित नजरो का शिकार नहीं बनेगी ? सोचता हूँ , तो खुद के पुरुष होने पर शर्म आने लगती है | कुंठा से ग्रसित ये पुरुष प्रधान समाज क्या कभी उस नारी की महत्ता को समझेगा , जो त्याग , करुणा, ममता , दया जैसे कई शब्दों का जीवंत पर्याय है | हर नवरात्री पर शक्ति को पूजने वाला ये समाज ना जाने कब ये भूल गया के वो शक्ति जिसकी वो पूजा कर रहा है, उसी नारी का एक प्रतिक मात्र है , जिसे वो हर रोज दबाने की कोशिश करता रहता है |
    आपका ये आर्टिकल पद के मन मैं एक आशा जागी के शायद अब कोई दामिनी किसी कुंठा ग्रसित पुरुष की कुत्सित मानसिकता का शिकार नहीं होगी |

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  6. आपका लेख पढ़ कर आज मुझे बहुत अच्छा लगा जो हिम्मत आपने दिखाई है अगर ऐसे ही हमारे देश कि हर नारी ये हिम्मत दिखाये तो किसी भी मनचले लडके की कभी औकात भी नही होगी किसी नारी को दोबारा छेडने की , मे आपके जजबे को सलाम करता हु ओर ईशवर से ये प्रार्थना करता हु की ईशवर आप जैसा जज्बा व होशला सब नारीयो को दे !

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