सरकार ने लाँच की नई सोलर पॉलिसी, सौर ऊर्जा के लिए बिछेंगी 200 मेगावाट की लाइनें
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जल्द ही सूरज की रोशनी से रातें भी रोशन हो सकेंगी। वो भी केवल 150 रुपया महीना में।
उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (नेडा) के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी हरनाम सिंह ने च्गाँव कनेक्शनज् को बताया कि आने वाले समय में 200 मेगावाट क्षमता की लाइनें बिछाकर सौर उर्जा की मदद से गाँवों में बिजली आपूर्ति की समस्या को दूर किया जा सकेगा।
"हमने नई सोलर पॉलिसी लाँच की है जिसके तहत आने वाले वक्त में हमारा 200 मेगावाट की सोलर लाईनें बिछाने का लक्ष्य है। इसके लिये हम निजी डवलपर्स से टेंडर मंगा रहे हैं। हर डवलपर को 5 मेगावाट क्षमता की यूनिट दी जाएगी।" हरनाम सिंह ने बताया।
जवाहर लाल नेहरु राष्ट्रीय सोलर मिशन के तहत उत्तर प्रदेश में सौर उर्जा से बिजली उत्पादन करने को लेकर काम पहले ही शुरु हो चुका है। हरनाम सिंह ने आगे बताया, "अभी ऐसे 23 सोलर प्लांट काम कर रहे हैं जिनसे हर घर में 3 वाट की क्षमता तक बिजली पहुंचाई जा रही है। आने वाले समय में हम इस क्षमता को बढ़ाकर 9 वाट तक करने जा रहे हैं। गाँवों में कम क्षमता की सोलर यूनिटों की मदद से भी हम घर घर में सोलर लाईट पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। सौर उर्जा पर आधारित बिजली के इन घरेलू कनेक्शनों की कीमत 150 रुपये मासिक होगी।"
पारंपरिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए भारतीय राष्ट्रीय सोलर मिशन का लक्ष्य है कि साल 2020 तक सौर उर्जा की मदद से ग्रिड से जुड़ी हुई 20 हज़ार मेगावाट विद्युत आपूर्ति मुहैया कराई जाएगी। जवाहर लाल नेहरु राष्ट्रीय सोलर मिशन के तहत देश के 50 से ज्यादा शहरों को सोलर सिटी बनाने की भी योजना थीे जिनमें उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और आगरा भी शामिल हैं। वो बात और है कि मुरादाबाद के कुछ अधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं है।
मुरादाबाद के मुख्य विकास अधिकारी मंसूर अली सरवर ने बताया "सोलर प्लांट लगाने के लिए काफ ी ज़मीन की ज़रुरत होती है। हमने दो जगह ज़मीन चयनित करके पिछले हफ्ते ही शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। उस पर आगे की कार्रवाई अभी होनी है। मुरादाबाद में पीक आवर्स में होने वाली बिजली की कमी की आपूर्ति के लिये 10 से 15 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है जिसकी आपूर्ति सौर उर्जा की मदद से की जा सकती है।"
जानकारों का मानना है कि सौर उर्जा की मदद से ऊर्जा की खपत और आपूर्ति के अनुपात को संतुलित किया जा सकता है। पूर्व आईएएस एवं ऊर्जा सचिव ईएएस शर्मा कहते हैं, "इस बीच सौर उर्जा के उपकरणों की कीमतें सरकार ने गिराई तो हैं, लेकिन अब भी वो इतनी ज्यादा हैं कि ग्रामीण जनता उनकी कीमतों को वहन नहीं कर सकती। सरकार को चाहिए कि विभिन्न योजनाओं के ज़रिए लोगों को अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिये प्रेरित करे। इससे
ऊर्जा की खपत और आपूर्ति के अनुपात को संतुलित करने में मदद मिलेगी।"
वहीं
निज़ी कंपनियों ने सरकार के सहयोग से ग्रामीणों को कम कीमतों पर सौर उर्जा मुहैया कराने के प्रयास काफी पहले से शुरू कर दिये हैं। टाटा बीपी सोलर, लखनऊ में सेल्स और मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव शिव लाल यादव ने बताया, "1989 से हम लोग सौर उर्जा की परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य ये है कि गैरसरकारी संगठनों, कॉर्पोरेट और सरकारी दफ्तरों में होने वालजनरेटर आदि के प्रयोग को कम किया जा सके। साथ ही दूर दराज के गांवों में
भी लोग सौर ऊर्जा के लाभ के बारे में जान सकें। हम गाँवों के बाज़ारों के ज़रिए और सरकारी बैंकों की मदद से गाँव-गाँव में सोलर लालटेन पहुंचा रहे हैं। हम अपने उपभोक्ताओं को 2 सोलर लालटेन और एक मोबाइल चार्जर देते हैं। सामान्य तौर पर पूरे उपकरण की कीमत 14 से 15 हज़ार तक होती है लेकिन इस पर मिलने वाली सब्सिडी के बाद ये कीमत आधी तक हो जाती है। महीने में 200 रुपये की इन्स्टालमेंट देकर इन्हें खरीदा जा सकता है।"
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