Sunday 20 January, 2013

जनवरी है संकल्प का महीना



Shiva Misra
जनवरी महीने में नव वर्ष, महासंक्रान्ति और गणतंत्र दिवस आते है, इसी माह स्वामी विवेकानन्द और नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म हुआ था तथा भीष्मपितामह और महात्मा गांधी का देहावसान।

विदेशों में जनवरी का महीना हैपी निउइयर लाता है और साल का बस पहला महीना होता है परन्तु भारत के लिए इसका बहुत महत्व है । 1863 में इस महीने की 12 तारीख को हमारे देश के आध्यात्मिक योद्धा स्वामी विवेकानन्द का कोलकता में जन्म हुआ था । एक ऐसे योद्धा जिन्होंने 11 सितम्बर 1893 को शिकागो की अन्तर्राष्ट्रीय धर्म संसद में भारत के आध्यात्म का परचम लहराया था । भारत की युवा शक्ति को ललकारा था कि उठो जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको नहीं । उनके जीवन का लक्ष्य था मानव निर्माण के माध्यम से राष्ट्रनिर्माण । एक बार किसी ने उनसे पूछा कि आप का भगवान कहाॅ है तो उन्होंने कहा था मेरा भगवान है गरीबों मे, दबे कुचलों में, अछूतों में । उन्होंने ब्राह्मणों से कहा था तुह्मारे पास जो ज्ञान की धरोहर है उसे समाज को सौंप दो और किनारे हो जाओ ।वे ऐसे समाज की रचना करना चाहते थे जिसमें जाति और धर्म की दीवारें न हों । 

 स्वामी जी पलायनवाद में कभी विश्वास नहीं करते थे । एक बार वाराणसी में उन्हें एक विचित्र अनुभव हुआ जो आज के सन्दर्भ में प्रासंगिक है । बन्दरों ने उन्हें दौड़ा लिया और एक सन्यासी नें पुकार कर कहा था मुकाबला करो । अपने जीवन में स्वामी विवेबानन्द  इस घटना को कभी नहीं भूले । विषम परिस्थितियों से भागो नहीं उनका मुकाबला करो यही उनका बताया मार्ग है । आज जब आसुरी शक्तियां समाज को दबोचने की कोशिश कर रही हैं तो हमें स्वामी जी के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए । 

जनवरी के महीने में ही लोहड़ी (पंजाब), मकर संक्रान्ति या खिचड़ी(उत्तर भारत) माघ बीहू (आसाम) और पोंगल (दक्षिण भारत) त्योहार नवचेतना के साथ आते हैं ।भारत का यह एक मात्र अवसर है जिसे राष्ट्रव्यापी त्योहार कहा जा सकता है । मकर संक्रान्ति का महत्व एक  दूसरे कारण से भी है जब 14 जनवरी को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं अर्थात जब सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध पर पड़नी आरम्भ होती हैं । यह वही दिन है जिसकी भीष्मपितामह ने लम्बी प्रतीक्षा की थी और सूर्य के उत्तरायण होने पर शर-शय्या पर प्राण त्यागे थे । वही  भीष्मपितामह जिनकी भीष्मप्रतिज्ञा पूरे भारत में विख्यात है । 

जनवरी में ही मकर संक्रन्ति के दिन से प्रत्येक 12 साल पर प्रयाग में महाकुम्भ आरम्भ होता है जो दुनिया का सबसे बड़ा सन्त समागम और जन समागम है । मान्यता है कि सागर मंथन के बाद देवताओं ने बचते बचाते जहाॅ जहाॅ अमृत कुम्भ छूपाया था वहां वहां स्नान की परम्परा है । हरद्वार और उज्जैन में भी कुम्भ का समागम होता है परन्तु प्रयाग में करोड़ों की संख्या में जन समूह उमड़ता है, गंगा स्नान के लिए । उत्तर प्रदेश प्रशासन का अनुमान है कि केवल एक दिन में 14 जनवरी 2013 को एक करोड़ के लगभग लोगों ने संगम स्नान किया था ।अगले 55 दिन में स्नान करने वालों की संख्या, उनकी श्रद्धा और आस्था का अनुमान लगाया जा सकता है । 

इसी महीने  की 23 तारीख को 1897 में भारत की धरती पर उड़ीसा प्रान्त के कटक शहर मे एक ऐसे सपूत का जन्म हुआ जिसने अंग्रेजों के अधीन उस समय की सबसे बड़ी आई सी एस की नौकरी करने के बजाय भारत माॅ की गुलामी की बेडि़यां काटना अधिक जरूरी समझा । उन्होंने आजाद हिन्द फौज की स्थापन करके देशवासियों को ललकारा कि ‘तुम हमें खून दो हम तुम्हें आजादी‘ देंगे । उनके आवाहन से भारत का नौजवान उद्वेलित हो उठा और आजादी की लड़ाई में नई ऊर्जा आ गई और अन्ततः अंग्रेजों को भारत छोड़ना हीे पड़ा । भारत माॅ को 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुई।  देशवासियों को सदैव अफसोस रहेगा कि नेताजी उनका मार्गदर्शन आजाद भारत में न कर सके ।

जनवरी महीने का अन्त भारत में कष्ट और पीड़ा के साथ हुआ जब 30 जनवरी 1948 को भारत की आजादी की लड़ाई के सबसे बड़े अहिंसक योद्धा का अन्त एक सिरफिरे नाथूराम गोडसे के हाथों गोली से हुआ । हे राम कहते हुए उन्होंने गोली का सामना भी एक अहिंसक योद्धा की भॅाति ही किया ।जहां नेता जी सुभाष चन्द्र बोस शक्ति और पौरुष के प्रणेता थे वहीं महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी । उनके प्रयासों से  26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतंत्र बना जिसके लिए हमें वे और उनके अनुगामी कभी नहीं भूलेंगे ।

अपने देश की वर्तमान हालत में क्या हम स्वामी विवेबानन्द के आध्यात्मिक और नैतिक उद्घोष को स्मरण करके नेताजी की उत्कट देशभक्ति से भरपूर होकर महात्मा गांधी के अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए भीष्म प्रतिज्ञा कर सकेंगे कि यह देश पतन की राह पर नहीं जाएगा ।   

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