
साठ दशक देर से ही सही, गाँव एक ब्रांड बन रहा है। गाँव के बारे में बातें करना अब महफिलों में थोडा ज्यादा स्वीकार्य हो गया है।
फेस्टिवल में दो सत्र ऐसे हुए जहाँ मैंने गाँव की खूब चर्चा की। एक था उग्रवाद से जुड़ा हुआ। मैंने और मेरे साथी राहुल पंडिता ने अपनी किताब "दी एब्सेंट स्टेट" से जुडी बातें करीं।
उग्रवाद गाँव से शुरू होता है और फिर शहर को लीलना चाहता है। गाँव की गरीबी में पनपता है, गाँव की नाराज़गी से सींचा जाता है। इस किताब को लिखने की शुरुआत एक दो पन्ने के कागज़ से हुई थी। सूचना के अधिकार के तहत मैंने भारत सरकार से ये जानकारी मांगी थी कि देश में चल रही ग्रामीण विकास की योजनाओं में कितना पैसा उग्रवाद प्रभावित राज्यों में भेजा जाता है, और उसका क्या होता है। ग्राम्य विकास मंत्रालय ने मुझको एक लम्बा चौड़ा पोथा भेजा जिसमें उन्होंने ज़िले-वार सूची भेजी -- और उस से पता चला कि इन क्षेत्रों में विकास के लिए जो पैसा भेज जाता है उसका आधा हिस्सा तो खर्च ही नहीं होता!
इन आंकड़ों को असली भारत का चेहरा देने के लिए मैं और राहुल सुदूर क्षेत्रों के गावों में गए -- कश्मीर गए, मणिपुर गए, और नक्सलवाद से प्रभावित कई राज्यों में दौर किया। ये पाया कि उग्रवाद सरकारों के लिए एक बहाना बन गया है काम न करने का। तीन साल में हमने लगभग चालीस हज़ार किलोमीटर की यात्रा की और गाँव गाँव भटके। ये पाया कि सरकारों का गावों को न समझ पाना, और सरकारी अधिकारियों का गावों से कट जाना उग्रवाद के पनपने का सबसे बड़ा कारण रहा है।
एक और सत्र था जिसका शीर्षक था "आओ गाँव चलें". इस में बड़े आश्चर्य से सुनता रहा जब मंच पर मेरे एक दो साथियों ने गावों की इतनी दर्दनाक तस्वीर खींची की लगा ये सत्र दो हज़ार तेरह में नहीं, उन्नीस सौ तेरह में हो रहा है। उनके हिसाब से गाँव वाले बस शहरों की ओर जाना चाहते हैं, गावों में जीवन के नाम पर कुछ नहीं है, और गावों में दुर्दशा के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। हालांकि ये सच है कि गाँव अभी भी विकास की सीढ़ी पर निचले पायदानों पर ही हैं -- और ऐसा भी नहीं है की शहर दौड़ कर ऊपर पहुँच गए हैं, शहरों में भी अलग तरह की दुर्दशा है। लेकिन शहरी भारत को अपना ये दंभ और घमंड त्यागना होगा कि गाँव का विकास तभी विकास कहलायेगा जब गाँव शहर जैसे बन जायेंगे।
कहीं ऐसा तो नहीं है कि गाँव के बारे में लिखने सुनने वाले भी उसी ग़लतफ़हमियों और अवधारणा में क़ैद हैं जिस में बाकी देश?
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