Tuesday 15 January, 2013

मनरेगा की निगरानी अब आसमान से भी

मनीष मिश्र

यूपी की पहल: उपग्रह की मदद से पकड़ी जाएंगी रोजगार गारंटी योजना की गड़बडिय़ां

मनीष मिश्र

लखनऊ। अब प्रधान जी खुदे हुए तालाब को दोबारा नहीं खुदवा पाएंगे। उनके इस काम पर आसमान से नजर रखी जाएगी। सॉफ्टवेयर पर आधारित एक नई प्रणाली की मदद से अब मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों को गूगल अर्थ पर देखा जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार के ग्राम्य विकास विभाग ने नेशनल इन्फार्मेशन सेंटर (एनआईसी) की मदद से जीपीएस आधारित एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है  जिससे गूगल अर्थ सॉफ्टवेयर की मदद से मनरेगा के कार्यों पर नजर रखी जा सकेगी। साथ ही इन कार्यों में होने वाली धांधली को भी रोका जा सकेगा।

"एनआईसी के सहयोग से तैयार किए गए साफ्टवेयर की मदद से योजना के अंतर्गत कराए गए कार्यों के स्थल के अक्षांस(लांगीट्यूड) और देशांतर (लेटीट्यूड) की सटीक स्थिति के साथ ही कार्यस्थल की तस्वीरों और लोकेशन को वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। जिसे भारत सरकार की मनरेगा की वेबसाइट से जोड़ दिया जाता है। जिसमें पूर्ण विवरण प्रदर्शित होता है। इसके बाद गूगल अर्थ पर जाकर कार्य की स्थिति जानकारी ले सकते हैं।" ,उप्र में मनरेगा की असिस्टेंट कमिश्नर प्रतिभा सिंह बताती हैं।

अब तक मौजूद व्यवस्था में  मनरेगा के तहत कार्य शुरू कराने से पहले उस पर होने वाले खर्च का विवरण दिया जाता है। जिसे लेबर बजट कहते हैं, जिसके पास होने के बाद केंद्र से उस कार्य के लिए पैसा जारी होता है। लेकिन इस व्यवस्था में कई खामियां थी जिन्हें दूर करने के लिये अब सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा। अगर एक बार उसी अक्षांस(लांगीट्यूड) और देशांतर(लैटीट्यूट) पर मनरेगा कार्यस्थल पर काम कराने के लिए पैसा जारी हो चुका है और रिपोर्ट लग चुकी है तो यह साफ्टवेयर दोबारा रिपोर्ट भेजने पर नकार देगा। केंद्र से पैसा जारी ही नहीं होगा। "एक बार कार्य का विवरण अपलोड हो जाने पर, उसी अक्षांस और देशांतर पर दोबारा काम दिखाने पर साफ्टवेयर उसे नहीं लेगा।" प्रतिभा सिंह बताती हैं।

मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों पर नजर रखने के लिए देश में पहली बार यूपी के तीन जिलों में शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट के बाद साफ्टवेयर आधारित इस नयी प्रणाली को अब 38 जिलों में लागू कर दिया गया है। जनवरी के अंत तक इसे सभी जिलों में लागू करने की तैयारी है।

साल 2012 में मनरेगा योजना के अंतर्गत कुल 3 करोड़ 20 लाख परिवारों को रोजगार दिया गया। जिसपर कुल खर्च 1320 करोड़ रुपये का हुआ। लेकिन आए दिन योजना में धांधली की और दोबारा उसी काम को कराने की शिकायतें आती रहती हैं। जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के ग्राम्य विकास विभाग ने इस योजना की शुरुआत की है।    

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