अमूल्य रस्तोगी/अभिजीत मंजुल
लखनऊ। बीते माह 16 दिसंबर को हुए दिल्ली गैंगरेप पर दिए गए आशाराम बापू के एक बयान पर देशभर में काफी चर्चाएं हुईं। गैंगरेप की शिकार लड़की पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ''घटना के लिए वे पांच-छह शराबी ही दोषी नहीं थे। ताली दोनों हाथों से बजती है। छात्रा किसी को भाई बनाती, पैर पड़ती और बचने की कोशिश करती। वह चाहती तो आरोपियों को भाई कहकर उनके हाथ-पैर जोड़ सकती थी। जिससे वह बच जाती। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।''
दिल्ली में हुई इस बलात्कार की घटना के विरोध में लोगों ने राष्ट्रपति भवन से लेकर देश के कई अलग-अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन, कैंडल मार्च और अनशन किए। दोषियों को मौत की सज़ा देने और बलात्कार के लिए कड़े कानून बनाने के लिए लोगों ने सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर भी जमकर आवाज़ उठाई।
आशाराम बापू के इस बयान पर ग्रामीण लोगों की राय जानने के लिए उत्तर प्रदेश के 12 जिलों के तकरीबन 25 गाँवों में 'गाँव कनेक्शन' द्वारा एक एक्सक्लूसिव सर्वे कराया गया।
सर्वे के नतीज़ों से जो सबसे अहम बात सामने आई, वो यहकि 72 फीसदी लोग यह मानते हैं कि बाबा अपने भक्तों को ठगते हैं। 81 फीसदी लोग ऐसे बाबाओं पर रोक लगाना चाहते हैं। इस सर्वे के दौरान हमने लोगों से विस्तार से बात की और ये जानने की कोशिश की कि आशाराम बापू के बयान पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया है। ये पूछने पर कि क्या आप दिल्ली में हुई गैंगरेप की घटना के बारे में जानते हैं? 88 फीसदी का कहना था कि वो इस घटना के बारे में जानते हैं और उन्हें इस घटना की जानकारी टीवी और अख़बार के माध्यम से मिली। हमने अपने दूसरे प्रश्न में पूछा, कि आप आसाराम बापू के दिल्ली गैंगरेप के बारे में दिए गए बयान से सहमत हैं या नहीं? 49 फीसदी आशाराम बापू के बयान से सहमत नहीं दिखे जबकि 46 फीसदी को बाबा की बात सही लगी।
आशाराम बापू के बयान के बारे में ग्रामीण इलाके को लोगों के अपने-अपने तर्क हैं। रायबरेली के नारायणपुर गाँव में रहने वाले रजनीश (30) कहते हैं, "साधू-संत सब देश को लूट रहे हैं। बापू ने जो बयान दिया वह उन्हें शोभा नहीं देता। सब चोर बाजारी है। पैसे देने पर दर्शन मिलते हैं।"
दिल्ली गैंगरेप की शिकार लड़की के अपने गृह जनपद बलिया के बधूरा गाँव में रहने वाले राजीव सिंह (26) मानते हैं, "बाबा का कहना काफ ी हद तक सही है, क्योंकि जिस तरह से पश्चिमी सभ्यता हावी हो रही है उसमे ये सब तो होगा ही।"
जब पूछा गया कि क्या बाबा धर्म के नाम पर भक्तों को ठगते हैं? तो 72 फीसदी लोगों ने कहा, बाबा अपने भक्तों को ठगते हैं। 19 फीसदी लोगों ने बाबाओं का पक्ष लिया जबकि 9 फीसदी ने इस सवाल का कोई जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। रायबरेली के रहने वाले कमलेश (50) का कहना है, "साधु के नाम पर सब पैसा कमा रहे हैं। भगवान् का केवल नाम रह गया है।"
हमने अपने आखिरी सवाल में पूछा कि क्या ऐसे बाबाओं पर रोक लगनी चाहिए, 81 फीसदी लोग ऐसे बाबाओं पर अंकुश लगाना चाहते हैं। जबकि 5 फीसदी ऐसे हैं जो इस तरह के बाबाओं पर अंकुश लगाने के पक्ष में नहीं हैं। 14 फीसदी ने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया। गोंडा में रहने वाले 38 साल के खुशीराम कहते हैं "बाबा तो ठग हैं ही पब्लिक भी वैसी ही होती जा रही ह। सीबीआई जांच कराई जाए तो इन बाबाओं का पिटारा खुलकर बाहर आ जायेगा।"
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