Monday 27 May, 2013

होनहार हैं हिन्दी फिल्मों के बाल कलाकार

नेहा घई पंडित

गाजियाबाद। कहते हैं होनहार बिरवानों के पांव चिकने होते हैं और एक कहावत ये भी है कि कुछ लोग पैदा होते ही किस्मत की रेखाएं हाथ में लिए आते हैं। ये दोनो बातें कम से कम उन कलाकारों पर तो लागू होती ही हैं जो हिन्दी सिनेमा में कम उम्र से ही अपनी छोटी-मोटी पहचान बनाते गए और बाद में कुछ समय के लिए या काफी लम्बे समय तक सिनेमा जगत पर नामचीन रहे।

आज के हिन्दी सिनेमा के सितारे या एक समय के बाद सिनेमा पटल पर अपना नाम लिखाने वाले कलाकार बचपन से ही कहीं ना कहीं अपनी कला और मासूमियत के जरिए सिने स्क्रीन पर समय-समय पर दिखाई देते रहे हैं। आज के इस लेख में हम जानेंगे कुछ ऐसे ही हिन्दी सिनेमा कलाकारों को जिन्होंने बहुत कम उम्र में ही कैमरे के सामने आने का साहस किया और उन्हें कई सालों बाद दर्शकों ने इन्हे युवा सिनेमा कलाकार के तौर पर देखा। इनमें से कई सुपर स्टार साबित हुए तो कुछ शायद अपनी छोटी पहचान बनाकर खो गए और कुछ आज भी दर्शकों को अपने अभिनय से मनोरंजित कर रहे हैं। जहां लोग सालों साल मुंबई की मायानगरी में एक छोटे से रोल के लिए दर-दर भटकते रहते हैं वहीं इन सितारों के लिए तो जैसे चांदी की चम्मच में खीर पहले से ही तैयार रही।

आमिर खान 

यादों की बारात में एक छोटा सा बच्चा और उसकी मुस्कान सभी को याद होगी। अपने पिता नासिर हुसैन की फिल्म यादों की बारात में बतौर बाल कलाकार आमिर खान ने जो एंट्री की थी, वो आज तक लोगों को याद है। लगभग 7 साल के इस बच्चे ने जब यादों की बारात का टाईटल गीत सिने पर्दे पर गुनगुनाया था, शायद किसी ने सोचा तक ना था कि यही बच्चा कुछ दशकों बाद हिन्दी सिनेमा पटल का सबसे बड़ा स्टार होगा। आमिर आज सुपरस्टार हैं और सिने जगत के इस उम्दा कलाकार के फैन फौलोवर्स की गिनती करना भी मुश्किल है।

शाहिद कपूर

'मैं हूं कम्पलान बॉय' कहते हुए उछलता कूदता बच्चा 90 के दशक पर टीवी पर अक्सर दिखाई दिया करता था और फिर यही बच्चा एक दो बडे कमर्शियल्स में फिर से दिखाई दिया। अभिनेता पंकज कपूर के इस सुपुत्र को आज हिन्दी सिनेमा शाहिद कपूर के नाम से जानता है। अब तक कोई मेगा ब्लॉकबस्टर मूवी तो नहीं दी लेकिन समय-समय पर चर्चा में रहने वाले शाहिद एक अच्छे और मेहनती कलाकार माने जाते हैं।

आफताब शिवदासानी 

मिस्टर इंडिया, चालबाज़, शहंशाह जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में दिखाई दिए इस कलाकार को जवान होने के बाद मुख्य भूमिका में कई फिल्मों में देखा गया, हलांकि आफताब हमेशा अपनी प्रतिभा को स्थापित करने के नाम पर संघर्ष ही करते दिखाई दिये। एक दो फिल्मों को छोड़ दर्शकों ने इस कलाकार को दिमाग से अपने दिल तक उतरने का मौका ही नहीं दिया, ना ही इस कलाकार ने ऐसी कोई फिल्म की जिसे लम्बे समय तक याद रखा जाए।

उर्मिला मातोंडकर

करीब 6 साल की उम्र पर सिनेमा पटल पर दस्तक देने वाली उर्मिला फिल्म कलयुग में पहली बार दिखाई दीं लेकिन उन्हें दर्शक वर्ग नें फिल्म मासूम देखकर जमकर सराहा, हलांकि इस समय उनकी उम्र करीब 9 साल की थी। बड़ी होकर यही बाल कलाकार राम गोपाल वर्मा के निर्देशन में बनी फिल्म रंगीला में दिखाई दी और उसके बाद कई और फिल्मों में इनके अभिनय को सराहा गया पर समय के साथ-साथ ये भी सिनेमा के पर्दे से ओझल हो गयीं।

आलिया भट्ट और    साना सईद

हालिया फिल्म स्टुडेंट ऑफ  द ईयर में दो बाल कलाकारों को निर्देशक करण जौहर नें काम दिया, आलिया भट्ट और साना सईद। आलिया भट्ट प्रीति जिंटा अभिनित फिल्म संघर्ष में दिखाई दी थी, जबकि साना को दर्शकों ने फिल्म कुछ-कुछ होता है में शाहरूख की बेटी के तौर पर देखा था। हलांकि आलिया और साना का फिल्मी सफर शुरु हुए कुछ ही दिन हुए हैं, देखना होगा कि इन अदाकारों को हमारी हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री कितनी ऊँचाई तक ले जाती है।

कुणाल खेमू

आमिर खान की राजा हिन्दुस्तानी और हम हैं राही प्यार के में कुणाल बतौर बाल कलाकार नजर आए और बाद में कुछ फिल्मों में सह अभिनेता के तौर पर सराहे गए फिर भी इन्हें बतौर अभिनेता जो किसी फिल्म को अपने दम पर खींच ले जाए, इंडस्ट्री ने माना नहीं है।

रितिक रोशन 

फिल्म भगवान दादा में रजनीकांत के गोद लिए बेटे के रोल में रितिक ने सिने पर्दे पर एंट्री की और उसके बाद फिल्म आपके दीवाने में भी दिखाई दिये और तब शायद किसी ने भी सोचा ना होगा कि ये बच्चा सुपर स्टारडम को छू लेगा और आज रितिक रौशन एक स्थापित कलाकार है और इनकी फैन फॉलोविंग भी तगड़ी है।

इमरान खान

अपने मामू आमिर खान के नक्शेकदम पर चलने वाले इमरान भी मामू की तरह बाल कलाकार के तौर पर सिने पर्दे पर दिखाई दे चुके हैं। अपने ही मामू की फिल्म कयामत से कयामत तक और जो जीता वही सिकंदर में आमिर के बचपन की भूमिका निभाने वाला बाल कलाकार इमरान खान ही था। आज इमरान को एक अच्छे अभिनेता के रूप में देखा जा रहा है और इंडस्ट्री इनमें आमिर को खोज रही है।

तब्बू

राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकीं और अपने अभिनय का लोहा दिखा चुकीं तब्बू भी बतौर बाल कलाकार देव आनंद साहब की फिल्म हम नौजवान में दिखाई दीं थीं और बाद में जब इनकी एंट्री हुई तो अपनी अदाओं और कलाकारी के जौहर से अनेक प्रशंसक भी बना लिए। आज तब्बु सक्रिय सिनेमा से दूर हैं लेकिन इनका नाम बाकायदा इज्ज़त से लिया जाता है।

संजय दत्त 

हाल में चर्चा में रहे संजय दत्त यानी संजू बाबा भी बाल कलाकार के तौर पर अपने ही पिता की फिल्म रेशमा और शेरा में एक कव्वाली गाते दिखाई दिये थे। तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि ये बाल कलाकार भी हिन्दी फिल्म जगत में सफलताओं के झंडे गाड़ देगा।

जुगल हंसराज

फिल्म मासूम का वो बच्चा जो अपने अभिनय से लोगों को सिनेमा हाल में रूला दिया करता था, सबको याद है। बड़ा होकर इस कलाकार ने भी इक्का-दुक्का फिल्में की लेकिन इनकी जगह इस इंडस्ट्री में बतौर अभिनेता नहीं बन पायी।

पुराने दौर में शशी कपूर, ऋषी कपूर, नीतू सिंह, पद्मिनी कोल्हापूरे और अनेक कलाकारों ने बतौर बाल कलाकार फिल्मों में काम किया और अपनी एक पहचान बनाने की कोशिश की। किसी ने अपने पिता के दम पर इस रोल को पाया किसी ने अपने खूबसूरत और मासूम चेहरे की वजह से तो किसी ने अपनी अदाकारी और चपलता के चलते सिनेमा तक अपनी पहुंच की नींव रखी। वजह जो भी हो लेकिन इन बाल                   कलाकारों के भविष्य को लेकर किसी ने कल्पना की हो या नहीं लेकिन आज आप सोचेंगे तो  निश्चित ही मानेंगे की 'होनहार बिरवान के होत चीकने पात' या  कहें तो इन बाल कलाकारों की  हाथ की रेखाएं ही पैदा होते बन गयीं। ये अलग बहस का मुद्दा हो सकता है कि रेखाएं पिता के हाथ की मजबूत थी या बच्चे ने मेहनत भी की। पैरों की चिकनाई पिता के घर बने मक्खन की मालिश के बाद आयी या किसी सादे वनस्पति तेल की मालिश से। बात जो भी हो पर है मजेदार और चटपटी।


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