Monday 13 May, 2013

सोलर एनर्जी से जगमग हो रहे गाँव


पंकज कुमार 

लखनऊ। बुंदेलखंड के छोटे से गाँव रामपुरा की गलियां हमेशा जगमग रहती हैं। यहां बिजली कभी नहीं जाती, क्योंकि यह पूरा का पूरा गाँव सोलर एनर्जी से चमकता रहता है। इतना ही नहीं, आज रामपुरा में आटा चक्की से लेकर टीवी और रेडियो तक सौर ऊर्जा से ही चल रहे हैं। रामपुरा भारत का पहला गाँव है, जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर है। 

उत्तर प्रदेश के शहर झांसी से मात्र 17 किलोमीटर दूर स्थित रामपुरा गाँव में 8.7 किलोवाट का सोलर पॉवर प्लांट लगा है। जिससे गाँव के सभी 69 घरों में बिजली की सप्लाई की जाती है। इस सोलर पॉवर प्लांट को लगाने में लगभग 31.5 लाख रुपये का खर्च आया। इस काम में गाँववालों की मदद की एक गैर सरकारी संगठन डवलपमेंट अल्टरनेटिव ने की। जिसमे उसे नार्वे की कंपनी स्केटर सोलर से मदद मिली। हां, गाँव के लोगों को बिजली उपयोग करने के बाद सोलर प्लांट आदि के मेंटिनेंस के लिए मासिक भुगतान जरूर करना पड़ता है। 

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के कुरौली और गुरौली गाँवों में नेडा ने सोलर पॉवर प्लांट लगाएं हैं जिससे करीब 100 घरों को रोजाना 5-6 घंटे बिजली दी जा रही है। जिसमें उन्हें 2 लाइट और मोबाइल चार्जिंग का कनेक्शन मिला हुआ है और उन्हें 150 रुपये प्रति माह का बिल देना होता है। ऐसा ही मऊ, आजमगढ़ और बलिया के गाँवों में भी किया जा रहा है।


नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी(नेडा) उत्तर प्रदेश में सीनिअर प्रोजेक्ट अफसर हरिनाम सिंह बताते हैं, अगर कोई व्यक्तिगत तौर पर 1 किलोवाट का सोलर प्लांट लगवाना चाहता है जिसकी लगत करीब 2 लाख रुपये है तो उसमे करीब 30 प्रतिशत की सब्सिडी भारत सरकार से मिलती है। साथ ही वह आगे कहते हैं, नेडा उत्तर प्रदेश ने इस वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा से कुल 200 मेगा वाट बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य रखा है। यही नहीं, राम मनोहर लोहिया ग्राम योजना और जनेश्वर मिश्रा ग्राम योजना के तहत गाँवों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाए जा रहें है।

कहीं गाँव, तो कहीं स्कूल, सभी सोलर एनर्जी की उपयोगिता को समझ रहे हैं। लखनऊ से 40 किमी उत्तर में स्थित भारतीय ग्रामीण विद्यालय में भी सौर ऊर्जा से कंप्यूटर, पंखा सभी चलाए जा रहे हैं। जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर है। भारतीय ग्रामीण विद्यालय के प्रबंधक डॉ. एसबी मिश्र बताते हैं, ''सोलर पॉवर प्लांट को लगाने में हालांकि खर्च तो थोड़ा ज्यादा है लेकिन इसमें कोई मेंटिनेंस चार्ज नहीं होता। हमारे विद्यालय में पिछले 4-5 सालों से सोलर पॉवर प्लांट लगा है, जिसमे अब तक कोई खराबी नहीं आई है। सौर ऊर्जा से लाइट और पंखे चलने से यहां के बच्चों को पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं होने पाती।"

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत आज भारत के उन गाँवों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जा रहा हैं जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची है। 11 जनवरी-2011 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सोलर मिशन का शुभारंभ किया है। वर्तमान समय में भारत में सौर ऊर्जा से कुल बिजली का उत्पादन 1200 मेगावाट है, 3 साल पहले तक यह केवल 18 मेगावाट थी। राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन का लक्ष्य साल 2022 तक सौर ऊर्जा से भारत में 22,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना है। वर्तमान समय में भारत के कुल बिजली उत्पादन में 54 प्रतिशत बिजली कोयले से बनाई जाती है, जबकि जल से 25 प्रतिशत और 8 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पैदा की जाती हैं।   

आज बड़ी-बड़ी कंपनियां सौर ऊर्जा की उपयोगिता को समझते हुए भारी भरकम जेनरेटर खरीदने की जगह सोलर पॉवर प्लांट लगाना ज्यादा उपयोगी समझ रही हैं। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के सोनारी गाँव में स्थित एक बीपीओ सेंटर पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर ही निर्भर है। यहां के सभी कंप्यूटर सौर ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली से ही चलते हैं । 

आज ग्रामीण भारत में सौर ऊर्जा को लेकर काफी जागरुकता आई है। बिजली की किल्लत को देखते हुए आम लोगों के साथ-साथ सरकारें भी सौर ऊर्जा को लेकर काफी गंभीर हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने सोलर प्लांट से बिजली पैदा करने के लिए बाराबंकी जिले में 2 मेगावाट का सोलर पॉवर प्लांट लगाया है।  नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश में साल 2017 तक सौर ऊर्जा से 500 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।

सौर ऊर्जा के सदुपयोग के लिए अच्छी पहल करते हुए गुजरात सरकार ने हाल ही में 600 मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाले सोलर पॉवर प्लांट की शुरुआत की है। जो इतनी ज्यादा मात्रा में बिजली उत्पादित करने वाला यह एशिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट है। गुजरात सरकार ने अपनी सौर ऊर्जा नीति के तहत साल के अंत तक सोलर पॉवर प्लांट से 968 मेगावाट बिजली उत्पादित करने का लक्ष्य रखा है। केवल गुजरात में ही नहीं बल्कि अन्य राज्य सरकारों ने भी सौर ऊर्जा के महत्व को समझते हुए अपने-अपने राज्यों में सोलर पॉवर प्लांट लगाने शुरू कर दिए हैं।  

गाँवों को सौर ऊर्जा से जगमगाने के लिए सरकारें काफी अच्छी पहल कर रही हैं, लेकिन डॉ. एसबी मिश्र कहते हैं, ''यह नई पहल है हालांकि आबादी के हिसाब से यह काफ ी कम है। शुरुआत अच्छी है।"


इन राज्यों ने दिखाई राह

गुजरात

सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के क्षेत्र में गुजरात देश का प्रतिनिधित्व करता है। सौर ऊर्जा से देश में कुल 1200 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है, जिसमे से दो तिहाई यानि लगभग 800 मेगावाट अकेले गुजरात पैदा करता है। गुजरात सरकार ने अनोखी पहल करते हुए नहरों के ऊपर सोलर पॉवर प्लांट के सोलर प्लेट लगवाए हैं। जिससे अतिरिक्त जमीन की बचत तो हुई ही है साथ ही यह नर्मदा नदी का लगभग 90,000 लीटर पानी प्रति वर्ष सूखने बचाती हैं।

राजस्थान


गुजरात के बाद राजस्थान देश का दूसरा सबसे ज्यादा सौर उर्जा से बिजली उत्पादित करने वाला राज्य है। अप्रैल-2012 में 40 मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाला फ़ोटोवोल्टिक धीरूभाई अंबानी सौर पार्क बनाया गया। जबकि 125 मेगावाट के दो और संयंत्र निर्माणाधीन हैं। 

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