
नीलेश मिश्रा
प्यारे दद्दू,
हम हियाँ एकदम ठीक हैं।
घर से चलते बखत आप हमसे बोले थे कि बेटा वैज्ञानिक बन जाना, टीचर बन जाना, अधिकारी बन जाना, डाक्टर बन जाना। हमने कोशिश की कि कम्प्यूटर इन्जीनियर बन जाएँ, होटल मेनेजर बन जाएँ, मुनीम बन जाएँ, लेकिन कुछ भी न बन पाए दद्दू, हम कुछ भी न बन पाए। हमें ये एहसास हो गया था दद्दू कि हम कुछऊ करने के लायक नहीं हैं।
इसलिए हम पत्रकार बन गए हैं दद्दू।
आप जमीन की क़िस्त के लिए जो पईसा भेजे थे उस से नया मोबाइल फ़ोन खरीद लिए हैं। हमें ये आइडिया बढ़िया लगा। पैसा खर्च का खर्च हुई गया और हाथ के हाथ में रहा।
ये पत्रकारिता बड़ा गज्जब का काम है दद्दू। बहुत मजा आ रहा है।
हमने सुना है कि एक ठो टाइम था जब लोग इस पेशे को दुनिया को बदलने के लिए चुनते थे। चाहे उनकी जेब में पईसे नहीं होते थे, लेकिन गलत को सही करने का, गरीब की आवाज उठाने का, जूनून होता था।
हमें बड़ी खुसी हुई दद्दू, ये जान के कि वो मनहूस टाइम अब ख़तम हुई गया है।
हमारा ऑफिस अन्दर से बिलकुल उस थ्री स्टार होटल के जईसा लगता है हमने गुडिया का रिसेप्शन करवाया था। हमाये पास अपना पर्सनल क्यूबिकल है, और अब तो गाड़ी भी है, ठीक वैसी जैसी नन्हे चाचा ने ज़िन्दगी भर काम कर के रिटायर्मेंट के पहले खरीदी थी। उनको उत्ता टाइम लगा, देखो हमें इत्ता टाइम लगा। हमाये पास अपना कंप्यूटर है।
पत्रकारिता का काम बिलकुल आसान है, दद्दू। हम दिन भर टाइम पास करते रहते हैं, दफ्तर में इधर की उधर करते रहते हैं और चाय सुड़कते रहते हैं। उत्ती अच्छी नहीं होती जित्ती अम्मा के हाथ की चाय होती थी लेकिन मुफ्त की होती है ना! पत्रकारिता में आके हमने सबसे बड़ा ज्ञान ये पाया है की मुफ्त का चन्दन, घिस मेरे लल्ला, मुफ्त का चन्दन घिस मेरे लल्ला।
दिन भर हमारे पास प्रेस विज्ञप्ति आती रहती है और हम मेज़ पे टांग धरे बैठे रहते हैं। शाम को जो हबर हमें लिखने को दी जाती है, उसकी प्रेस विज्ञप्ति से हैडलाइन काट के पूरी ज्यों की त्यों नक़ल कर लेते हैं, बस! और ज्यादा काम करने का मूड हुआ तो टीवी देख देख के दो चार खबर टीप लेते हैं। नए जमाने का रिपोर्टर रिपोर्टिंग करने गाँव शेहेर चला गया तो उसकी हनक बनेगी क्या, दद्दू? हम कोई फालतू हैं क्या? पत्रकारिता के बारे में सबसे बढ़िया बात ये है दद्दू, की हमने अपनी अकाल से सोचना बंद कर दिया है।
हमारी अब तक की सबसे शानदार स्टोरी थी मंत्री जी के कुत्ते के खो जाने के बारे में। सारे पुलिस वाले लाइन पे आ गए थे। गंदे गरीब लोगों की स्टोरी करना हमें पसंद नहीं है दद्दू, अपने अपने टेस्ट की बात है, हाँ नहीं तो ।
आप हमारे खाने पीने की एकदम चिंता मत करियेगा दद्दू। हम अपना पूरा ख्याल रख रहे हैं। हम पूरी पूरी कोशिश करते हैं कि अगर मन मार के दफ्तर से निकलना भी पड़े तो ऐसी प्रेस कांफ्रेंस में जाएँ जो या तो लंच के टाइम या डिनर के टाइम हो और जहाँ गिफ्ट भी मिल रही हो।
हमें लग रहा है हम इस लाइन में बहुत आगे जायेंगे दद्दू।
बस आपका आशीर्वाद रहे। बाकी हम किला फ़तेह कर के दिखायेंगे।
आपका सुपुत्र
सड़क छाप
humourous,funny yet so sweetly meaningful misra ji ur words always rock..
ReplyDeleteहा हा हा ...अब तो दद्दू खुसी के मारे बेहाल होय गए हुन्हिये ... लल्ला बहुत नाम कमाय रहा है ...और तनि एक दू कहानी और सुनाय दियो
ReplyDeleteदद्दू त मिठाई बंतले होइहे
ReplyDeleteसभी कहते है की परिवर्तन अच्छा होता है, पर ये कैसा परिवर्तन? कितनी आराम दायक है वर्तमान की पत्रकारिता, अच्छा है आराम का आराम और साथ ही साथ तनख्वाह !
ReplyDeleteनीलेश, आपने गलती की... आपने तो so called "modern journalism" की पोल खोल दी, इसका एक फायदा हो सकता है इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजो में अब भीड़ कम हो जाएगी ;)
आपका और गाँव कनेक्शन का सुभचिन्तक
Akhilesh Jain
Perth, Aus
जबरजस्त व्यंग्य.....
ReplyDeletekis patrkarita ki baat kar rahe hai nilesh ji jo kiske liye aur kyu bani pata nhi..
ReplyDeleteHilarious :D
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeletenilesh ji kanpur ke patrkaro ki yaad dila di......bahut khoob...
ReplyDeleteNeek likhale ba ho babua, addu t' asirwaad dihein bhar bhar ke!!
ReplyDeletebichaare daddu...........
ReplyDeleteka ho daddu... aaina dikha diye aaj ki patrkarita ko..........
ReplyDeletesabhrant aur samanniya ptrakarita to ab beete jamane ki baat ho gayi hai...shayad beta daddu se kuch sachchaiyaan chah kar bhi kah nahi paaya ...barkha dutta aur radia ke jamane me prabuddh varg shayad is dagar par aana hi na chahta hoga...
ReplyDeletesahitya samaj ka darpan hai ya samaj sahitya ka ..par aap jaroor aaj ke daur ke utkrist rachayita hai neelesh...
sadhuvaad...dr ghanshyam misra, pediatrician , allahabad...ghanshyam69@gmail.com
Too good...
ReplyDeletekhoob tarakki karega ye sadak chap :p
ReplyDeleteप्रिंट मीडिया की तस्वीर आपने दिखाई, और इलेक्ट्रानिक मीडिया की एक तस्वीर यहाँ देख ले :)
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/cakashyap/posts/10200866020434404
अपने अखबारी अनुभव के कुछ दिन-कुछ किस्से याद हो आए
ReplyDeleteनिलेश सर अपने नव युवक पत्रकारों को अपने लेखनी से एहसास करवाया है जिसके ली आप धन्यवाद के पात्र है
ReplyDeleteक्या शानदार लिखा है निलेश जी. आज के पत्रकारिता का सच बयान कर दिया आपने तो.धन्यवाद.
ReplyDeletepahli baar padha apko aur padhna shuru kiya to vyastata hone ke baad bhi pura padhne se khud ko rok nahi pai.sach me its really gud
ReplyDeletehttps://arman15.blogspot.com
ReplyDeleteHello Sir Plz Give Me A Backlink for Your Website.